बालू का स्तूप का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर – मरुस्थलीय प्रदेशों में जब पवन के मार्ग में कोई रुकावट आती है, तब पवन का वेग कम हो जाता है जिससे पवन के साथ उड़ने वाले पदार्थ धरातल पर गिरकर बालू के टीलों का निर्माण करते हैं।
इन्हें ‘बालुका स्तूप’ कहते हैं।
ये मरुस्थलीय और अर्द्ध मरुस्थलीय क्षेत्रों में अधिक बनते हैं।
इनका आकार गोल, नवचन्द्राकार और अनुवृत्ताकार होता है।
नवचन्द्रकार या चापाकार बालूका स्यूत को ‘बरखान’ भी कहते हैं।